हिन्दू धर्म में कुंभ के मेले में कल्पवास इतना महत्वपूर्ण क्यों माना जाता है? जानिए कल्पवास के फायदे
कुम्भ के मेले में कल्पवास का बहुत महत्व माना जाता है। कल्पवास का अर्थ होता है संगम के तट पर निवास करके वेदाध्ययन और ध्यान करना। जब पहले प्रयाग में कुम्भ का मेला हुआ था तो वहा कल्पवास का बहुत अत्यधिक महत्व माना गया था। जैसा कि हम जानते है कल्पवास पौष के 11 वे दिन से माघ माह के 12 वे दिन तक रहता है। कुछ लोग माघपूर्णिमा तक कल्पवास करते है।
- जो कुम्भ की नगरी होती है वहा पर कल्पवास का बहुत महत्व होता है क्योकि ऐसा माना जाता है कि किसी काल में इसी जगह पर ऋषियों में घोर तप और अनुष्ठान किये थे। उसी समय से तपोभूमि पर कुंभ और माघ माह में साधुओं के साथ साथ गृहस्थों के लिए कल्पवास की परंपरा चली आ रही है। कल्पवास के माध्यम से एक जातक अपने धर्म, अध्यात्म और खुद की आत्मा से जुड़ता है।
- सेलिब्रिटी एस्ट्रोलॉजर के अनुसार ऐसा माना जाता है कि ऋषियों और मुनियों का पूरा पूरा साल तक कल्पवास रहता है। लेकिन ऐसा माना जाता है कि उन्होंने गृहस्थों के लिए कल्पवास का विधान रखा था और उनके अनुसार इस दौरान गृहस्थों को अल्पकाल के लिए शिक्षा एवं दीक्षा दी जाती थी। इन शिक्षा और दीक्षा से गृहस्थ अपनी हर परेशानी और तकलीफों का समाधान खोज पाते है।
- यह ऐसी पीढ़ी होती है जहा पर गृहस्थ कल्पवास का संकल्प लेकर आता है और ऋषियों या फिर अपनी खुद की बनाई हुई कुटिया में रहता है। इस दौरान दिन में केवल एक ही बार भोजन ग्रहण किया जाता है। एवं ऐसा माना जाता है कि मानसिक रूप से धैर्य, अहिंसा और भक्तिभावपूर्ण रहा जाता है। ऐसा करने से जीवन में अनुशासन और जिम्मेदारी का भाव विकसित होता है।
- ऐसा माना जाता है कि जो संगम तट पर वास करता है वह सदाचारी, शांत मन वाला एवं जितेन्द्रय होना चाहिए, ऐसे में वह जातक बहुत पुण्य के साथ ही प्रभु की कृपा भी प्राप्त करता है।
- जो कल्पवासी होता है उसके तीन मुख्य कार्य होते जिससे उसकी आत्मा का विकास होता है। वह कार्य है: तप, होम और दान।
- पौराणिक ग्रंथों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति कल्पवास की प्रतिज्ञा करता है वह अगले जन्म में राजा के रूप में जन्म लेता है लेकिन जो मोक्ष की अभिलाषा लेकर कल्पवास करता है उस प्राणी को अवश्य ही मोक्ष मिलता है।
- कल्पवास में रहने वालो की दिनचर्या सुबह गंगा स्नान के बाद संध्यावंदन से शुरू होती है एवं देर रात तक भजन कीर्तन जैसे आध्यात्मिक कार्यों के साथ में समाप्त होती है। ऐसा करने से मन निर्मल हो जाता है और व्यक्ति के सभी सांसारिक तनाव हट जाते है। इसके साथ वह गृहस्थी में नए उत्साह के साथ में वापस प्रवेश करता है।
- ऋषियों और देवताओं का साथ ही धरती पर स्नान होता है ऐसी मान्यता है। हिमालय की कई विभूतियां भी यहां पर उपस्थित रहती है। इस तरह के आध्यात्मिक माहौल में रहकर जातक अपने आप को धन्य और भाग्यशाली पाता है।
- जो व्यक्ति पूर्ण रूप से कल्पवास के नियम से रहता है तो उसके सभी प्रकार के रोग और शोक मिट जाते है और उस इंसान की आयु लंबी हो जाती है।
- हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि कल्पवास के दौरान गंगा समेत पवित्र नदियों की धारा में अमृत प्रवाहित होता है। कुम्भ के मेले में स्नान करने से व्यक्ति के शरीर के सभी रोग मिट जाते हैएवं रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। शरीर में एंटीबाडीज का निर्माण होता है। माघ माह में आयोजित होने वाले कुंभ के बहुत महत्व होते है।
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