कब है गंगा दशहरा, जानिए गंगा दशमी का महत्व और पूजन विधि

कब है गंगा दशहरा, जानिए गंगा दशमी का महत्व और पूजन विधि
When is Ganga Dussehra know the importance and worship method

गंगा दशहरा 2021 रविवार, 20 जून, 2021 को मनाया जाएगा। गंगा दशहरा का पर्व ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष (मई/जून) की दशमी तिथि को मनाया जाता है। गंगा दशहरा पृथ्वी पर देवी गंगा के अवतरण का प्रतीक है और इसलिए इसे गंगावतरण भी कहा जाता है। जो लोग हिन्दू धर्म में बहुत आस्था रखते है उनके लिए गंगा नदी बहुत महत्व रखती है। शास्त्र पुराणों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को हस्त नक्षत्र में गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं। भगवान विष्णु के अंगूठे से निकली गंगा मैया के धरती लोक पर आने का पर्व गंगा दशहरा इस साल रविवार , 20 जून को मनाया जाएगा। भागीरथ अपने पूर्वजों की आत्मा का उद्धार करने के लिए माँ गंगा को धरती पर लाए थे, इसी कारण गंगाजी को भागीरथी भी कहा जाता है। मान्यता है कि गंगा मैया मन, वाणी और शरीर द्वारा होने वाले दस प्रकार के पापों का हरण करती हैं।

गंगा दशहरा 2021 दिनांक और समय

  • गंगा दशहरा तिथि - रविवार, 20 जून, 2021
  • दशमी तिथि शुरू - 19 जून 2021 को शाम 06:45 बजे
  • दशमी तिथि समाप्त - 04:21 अपराह्न 20 जून 2021

गंगा दशहरा का महत्व

गंगा दशहरा का त्योहार देवी गंगा को समर्पित है और उस दिन को चिह्नित करता है जब भगीरथ के पूर्वजों की शापित आत्माओं को शुद्ध करने के अपने मिशन को पूरा करने के लिए गंगा को पृथ्वी पर उतारा गया था। ऐसा कहा जाता है कि पृथ्वी पर उतरने से पहले, देवी गंगा कमंडल में निवास कर रही थीं। भगवान ब्रह्मा की। ऐसा माना जाता है कि देवी गंगा ने अपने साथ पृथ्वी पर स्वर्ग की पवित्रता लाई थी। गंगा दशहरा के दिन, भक्त देवी गंगा की पूजा करते हैं और गंगा में स्नान करते हैं। गंगा दशहरा के दिन दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग गंगा दशहरा के दिन गंगा में डुबकी लगाते हैं, वे सभी प्रकार के पापों से मुक्त हो जाते हैं। गंगा दशहरा के दिन प्रयागराज, गढ़मुक्तेश्वर, हरिद्वार, ऋषिकेश और वाराणसी कुछ सबसे अधिक देखे जाने वाले धार्मिक स्थल हैं।

मां गंगा की पूजा

इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर गंगा में स्नान करना चाहिए अभी कोरोना काल में नदियों में स्न्नान करना संभव नहीं है तो नहाने के पानी में थोड़ा गंगाजल मिलकर स्न्नान करें। स्नान करने के पश्चात धुले हुए साफ़ वस्त्र पहनकर सूर्योदय के समय एक तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर सूर्यदेव को अर्घ्य दें। अब मां गंगा का ध्यान करते हुए गंगा के मंत्रों का जाप करें। श्री नारायण द्वारा बताए गए मन्त्र-''ॐ नमो गंगायै विश्वरूपिण्यै नारायण्यै नमो नमः'' का स्मरण करने से व्यक्ति को परम पुण्य की प्राप्ति होती है। पूजन और जाप पूर्ण होने के बाद मां गंगा की आरती करें और गरीब और जरूरतमंद ब्रह्माणों को यथाशक्ति दान दें। शास्त्रों के अनुसार गंगा अवतरण के इस पावन दिन गंगा जी में स्नान एवं पूजन-उपवास करने वाला व्यक्ति दस प्रकार के पापों से छूट जाता है।

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