भारतीय ध्वज की संहिता क्या कहती है? जानिए क्या करे और क्या नहीं?
जैसा कि हम जानते है कि भारत के राष्ट्रीय ध्वज की ऊपरी पट्टी में केसरिया रंग है जो हमारी देश की भक्ति और साहस को दर्शाता है। जो हमारे भारतीय ध्वज के बीच की सफ़ेद पट्टी है वह धर्म चक्र के साथ में शान्ति और सत्य का प्रतिक है। नीचे की हरी पट्टी उर्वरता, वृद्धि और भूमि की पवित्रता को दर्शाती है।
भारतीय ध्वज का चक्र
जो भारतीय ध्वज है उसके बीच का चक्र कहते है जो तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व मौर्य सम्राट अशोक द्वारा बनाए गए सारनाथ मंदिर से लिया गया है। इस चक्र को प्रदर्शित करने का आशय यह है कि जीवन गतिशली है और रुकने का अर्थ मृत्यु है।
ध्वज संहिता
26 जनवरी 2002 को भारतीय ध्वज संहिता में संशोधन किया गया है और स्वतंत्रता के कई वर्ष बाद में भी भारत के नागरिकों को अपने घरों, कार्यालयों और फैक्ट्री में ना केवल राष्ट्रीय दिवसों पर, बल्कि किसी भी दिन बिना किसी रुकावटों के फहराने की अनुमति मिल गई।
अब भारतीय नागरिक राष्ट्रीय झंडे को शान से कही भी और किसी भी समय फहरा सकते है। बशर्तें कि वह ध्वज की संहिता का कठोरता पूर्वक पालन करे और तिरंगे की शान में कोई कमी ना आने दे।
सुविधा की दृष्टि के अनुसार माना जाता है कि ध्वज संहिता 2002 को भागों में बांटा गया है। संहिता के अनुसार पहले भाग में राष्ट्रीय ध्वज का सामन्य विवरण है। संहिता के दूसरे भाग में जनता, निजी संगठनों, शैक्षिक संस्थानों आदि के सदस्यों द्वारा राष्ट्रीय ध्वज के प्रदर्शन के विषय में बताया गया है। संहिता का तीसरा भाग केन्द्रीय और राज्य सरकारों तथा उनके संगठनों और अभिकरणों द्वारा राष्ट्रीय ध्वज के प्रदर्शन के विषय में जानकारी देता है।
क्या करें
- किसी सार्वजनिक, निजी संगठन या एक शैक्षिक संस्थान के सदस्य द्वारा राष्ट्रीय ध्वज का अरोहण/प्रदर्शन सभी दिनों और अवसरों, आयोजनों पर अन्यथा राष्ट्रीय ध्वज के मान सम्मान और प्रतिष्ठा के अनुरूप अवसरों पर किया जा सकता है।
- नई संहिता की धरा 2 में सभी प्रकार की निजी नागरिकों अपने परिसरों में ध्वज फहराने का अधिकार देना स्वीकार किया गया है।
- राष्ट्रीय ध्वज को शैक्षिक संस्थानों (विद्यालयों, महाविद्यालयों, खेल परिसरों, स्काउट शिविरों आदि) में ध्वज को सम्मान देने की प्रेरणा देने के लिए फहराया जा सकता है। ऐसा माना जाता है कि ध्वज आरोहण में निष्ठा की एक शपथ शामिल की गई है।
क्या न करें
- इस ध्वज को सांप्रदायिक लाभ, पर्दें या वस्त्रों के रूप में उपयोग नहीं किया जा सकता है। जहां तक संभव हो इसे मौसम से प्रभावित हुए बिना सूर्योदय से सूर्यास्त तक फहराया जाना चाहिए।
- इस ध्वज को आशय पूर्वक भूमि, फर्श या पानी से स्पर्श नहीं कराया जाना चाहिए। इसे वाहनों के हुड, ऊपर और बगल या पीछे, रेलों, नावों या वायुयान पर लपेटा नहीं जा सकता।
- किसी अन्य ध्वज या ध्वज पट्ट को हमारे ध्वज से ऊंचे स्थान पर लगाया नहीं जा सकता है। तिरंगे ध्वज को वंदनवार, ध्वज पट्ट या गुलाब के समान संरचना बनाकर उपयोग नहीं किया जा सकता।
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