बेहद खास है श्रावण का पहला सोमवार, 18 जुलाई को हैं 3 बड़े महापर्व- नाग मरुस्थल, मौना पंचमी और महाकाल की सवारी

बेहद खास है श्रावण का पहला सोमवार, 18 जुलाई को हैं 3 बड़े महापर्व- नाग मरुस्थल, मौना पंचमी और महाकाल की सवारी
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Sawan 2022 Somvar Vrat Puja Vidhi in Hindi

सावन का पहला सोमवार कब है : श्रावण मास गुरुवार, 14 जुलाई, 2022 से शुरू हो गया है। सावन महीने का पहला सोमवार 18 जुलाई को है। बहुत से लोग सोमवार को ही व्रत रखते हैं और शिवजी की पूजा करते हैं जबकि पूरा श्रावण मास ही शिवजी के लिए व्रतों का रखने का मास होता है। इस दिन क्या रहेगा, आओ जानते हैं।

1. नाग मरुस्थले पर्व : इस दिन नाग पूजा होती है। नाग देवता को सूखे फल, खीर आदि चढ़ा उनकी पूजा की जाती है। इस तिथि के देवता शेषनाग हैं इसलिए इस दिन भोलेनाथ के साथ-साथ शेषनाग की पूजा भी की जाती है। सुहागिन महिलाएं इस व्रत को पूरी श्रद्धा से करती हैं।

2. मौना पंचमी : इस दिन शिव के दक्षिणामूर्ति स्वरूप की पंचामृत और जल से पूजा होती है। इस दिन पूजा से बुद्धि तथा ज्ञान में बढ़ोतरी होती है तथा मनुष्य हर तरफ से जीवन में सफलता पाता है।

3. महाकाल सवारी उज्जैन : मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थित 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर मंदिर से इस दिन बाबा महाकाल की मूर्ति को पालकी में सजाकर नगर भ्रमण कराया जाता है। सावन और भादौ मास के सोमवार को महाकाल सवारी को देखने के लिए दूर दूर से लोग आते हैं।

4. श्रावण का पहला सोमवार: कालांतर में श्रावण मास को श्रावण सोमवार कहा गया, जिसके कारण यह समझा गया कि श्रावण मास में सोमवार को ही व्रत करना चाहिए, जबकि श्रावण मास से चातुर्मास शुरू होता है।

सोमवार व्रत के नियम: श्रावण सोमवार व्रत सूर्योदय से तीसरे पहर तक होता है. व्रत में एक बार भोजन करने को एकाशना कहा जाता हैं और पूरे समय के उपवास को पूर्णोपवा कहा जाता हैं यह व्रत कठित होते हैं। ऐसा नहीं कर सकते कि आप सुबह फलाहार ले लें और फिर शाम को भोजन कर लें या दोनों ही समय फलाहार लेकर समय गुजार दें। बहुत से लोग साबूदाने की खिचड़ी दोनों समय डट के खा लेते हैं, तो फिर व्रत या उपवास का कोई मतलब नहीं। उपवास या व्रत का अर्थ है कि तुम भोजन छोड़ दो।

पुराणों और शास्त्रों के अनुसार सोमवार का व्रत तीन प्रकार का होता है। सोलह सोमवार, सावन सोमवार और सोम प्रदोष। हालांकि महिलाओं के लिए भी सावन सोमवार के व्रत की विधि का उल्लेख भी मिलता है। उन्हें उस विधि के अनुसार ही व्रत रखने की छूट है। शिवपुराण के अनुसार जिस कामना से कोई इस मास के सोमवारों का व्रत करता है उसकी वह कामना अवश्य एवं अतिशीघ्र पूरी हो जाती है। जिन्होंने 16 सोमवार व्रत करने हैं वह भी सावन के पहले सोमवार से व्रत करने की शुरूआत कर सकते हैं। इस मास में भगवान शिव की बेलपत्र से पूजा करना श्रेष्ठ एवं शुभ फलदायक है।

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