Sankashti Chaturthi 2023: कब है साल की पहली संकष्टी चतुर्थी, जानें तिथि, समय, पूजा विधि और महत्व
Sankashti Chaturthi 2023: कब है साल की पहली संकष्टी चतुर्थी, जानें तिथि, समय, पूजा विधि और महत्व
हिन्दुओं में संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व है। यह दिन भगवान गणेश जी की पूजा करने के लिए अत्यधिक समर्पित है। इस दिन भक्त व्रत रखते हैं और मन से पूजा-आराधना करते हैं। संकष्टी चतुर्थी के इस शुभ दिन पर सकट चौथ भी मनाया जाएगा।
आज का राशिफल जानने के लिए क्लिक करे या अधिक जानने के लिए
दैनिक एस्ट्रोलॉजी के एक्सपर्ट एस्ट्रोलॉजर से संपर्क करे : +91-8005682175
हिंदुओं में संकष्टी चतुर्थी का बड़ा महत्व है। यह दिन भगवान गणेश जी की पूजा करने के लिए समर्पित है। इस दिन भक्त व्रत रखते हैं और पूजा करते हैं। संकष्टी चतुर्थी के इस शुभ दिन पर साथ ही सकट चौथ भी मनाया जाएगा। संकष्टी चतुर्थी प्रत्येक माह कृष्ण पक्ष के दौरान ही मनाई जाती है। इस बार साल 2023 में यह माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जा रहा है। 10 जनवरी 2023 माघ मास में पड़ने वाले संकष्टी व्रत को लंबोदर संकष्टी चतुर्थी कहते हैं।
संकष्टी चतुर्थी 2023: तिथि और समय
चतुर्थी तिथि प्रारंभ - 10 जनवरी 2023 को दोपहर 12 बजकर 09 मिनट से
चतुर्थी तिथि समाप्त- 11 जनवरी 2023 को दोपहर 02 बजकर 31 मिनट तक
लंबोदर संकष्टी पर चंद्रोदय - 10 जनवरी 2022 - 08:41 PM
उदयतिथि के अनुसार संकष्टी चतुर्थी का व्रत 10 जनवरी को ही रखा जाएगा।
संकष्टी चतुर्थी का महत्व:
रात में चंद्रमा की पूजा करने के बाद ही संकष्टी चतुर्थी का व्रत तोड़ा जाता है। क्योंकि ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को मन का कारक माना गया है। इसलिए जिन जातकों की कुंडली में चंद्र दोष होता है, उन्हें गणेश जी की पूजा से मुक्ति मिल सकती है। साथ ही मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की पूजा और अर्घ्य देने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। वहीं संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश जी की पूजा करने से सभी संकट दूर हो जाते हैं। और सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती है। वहीं गणेश जी की पूजा करने से घर से नकारात्मकता दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का वास भी होता है।
यह भी अवश्य जानें
मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भगवान को चढ़ाये जाने वाले पुष्पों का महत्व
संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि (संकष्टी चतुर्थी 2023 पूजा विधि)
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद चौकी पर गणेश जी की प्रतिमा या मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद अगरबत्ती या धुप भी जलाएं। इसके बाद भगवान गणेश को तिल, गुड़, लड्डू, दूर्वा, फल और चंदन अर्पित करें। इसके साथ ही गणेश जी को मोदक का भोग लगाएं। क्योंकि मोदक भगवान गणेश जी को बेहद प्रिय माना जाता है।
संकष्टी चतुर्थी पूजा सामग्री
प्रतिमा स्थापित करने के लिए चौकी, लाल रंग का वस्त्र, गंगाजल, धूप, दीप, कपूर, दूर्वा, जनेऊ, रोली, कलश, मौली, पंचामृत, लाल चंदन, पंचमी व मोदक व लड्डू आदि।
संकष्टी चतुर्थी 2023: व्रत में क्या खाएं
1. मखाने की खीर
2. तिल के बीज
3. तिल के लड्डू
4. सात्विक भोजन
5. सब्जी-पूरी
6. एक प्रकार का अनाज पकौड़ी
ये भी अवश्य पढ़ें...
मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भगवान को चढ़ाये जाने वाले पुष्पों का महत्व
तुलसी की माला पहनने के 5 स्वास्थ्य सम्बन्धी लाभ
धन को आकर्षित करने के लिए वास्तु के अनुसार घर में रखें ये 10 चीजें
जानिए वास्तु के अनुसार कौन सी दिशा किस काम के लिए शुभ होती है