मकर संक्रांति के दिन कौन से कार्य करने से प्राप्त होगा पुण्य
हिन्दू धर्म के अनुसार मकर सक्रांति में मकर शब्द मकर राशि को इंगित करता है। वही दूसरी ओर सक्रंति का अर्थ होता है संक्रमण यानी कि प्रवेश करना। मकर सक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। जब एक राशि को छोड़कर दूसरी राशि में प्रवेश करते है तो इस विस्थापन क्रिया को सक्रांति कहा जाता है। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है इसलिए इसे मकर सक्रांति कहा जाता है। अलग अलग राज्यों में मकर सक्रांति कई रूपों से मनाई जाती है। मकर सक्रांति को प्रातः कुछ ऐसे काम करने चाहिए जिससे हमे पुण्य की प्राप्ति हो। आज के लेख में जानिए वो कौनसे काम है।
सूर्य आराधना
मकर सक्रांति के दिन दिन सूर्य उत्तरायण होता है। इस दिन से दिन धीरे-धीरे बड़ा होने लगता है और रातें छोटी होने लगती है। इस दिन सूर्य को अर्घ्य देने और उनकी पूजा करने का महत्व है।
नदी स्नान
हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि इस दिन सूर्य अपने पुत्र शनिदेव से नाराजगी त्यागकर उनके घर गए थे इसलिए इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने से पुण्य हजार गुना हो जाता है। इस दिन गंगासागर में मेला भी लगता है।
दान
मकर सक्रांति के दिन तिल गुड़ या रेवड़ी का दान किया जाता है। मकर सक्रांति के दिन गरीबों को या जरूरत मंदों को दान देने से पुण्य हजार गुना हो जाता है।
गाय को चारा डालना
मकर संक्रांति के दिन विशेष तौर पर गायों को हरा चारा खिलाया जाता है।
पतंग महोत्सव
मकर सक्रांति के पर्व को कुछ लोग 'पतंग महोत्सव' के नाम से भी जानते है। पतंग उड़ाने के पीछे मुख्य कारण है कुछ घंटे सूर्य के प्रकाश में बिताना।
सूर्य प्रकाश में रहना
यह समय सर्दी का होता है और इस मौसम में सुबह का सूर्य प्रकाश शरीर के लिए स्वास्थवर्द्धक और त्वचा व हड्डियों के लिए अत्यंत लाभदायक होता है। अत: उत्सव के साथ ही सेहत का भी लाभ मिलता है।
तिल गुड़ खाना
सर्दी के मौसम में वातावरण का तापमान बहुत कम होने के कारण शरीर में रोग और बीमारियां जल्दी लगती हैं इसलिए इस दिन गुड़ और तिल से बने मिष्ठान्न या पकवान बनाए, खाए और बांटे जाते हैं। इनमें गर्मी पैदा करने वाले तत्वों के साथ ही शरीर के लिए लाभदायक पोषक पदार्थ भी होते हैं।
खिचड़ी का भोग
विश्व प्रसिद्ध ज्योतिष के अनुसार उत्तर भारत में इस दिन खिचड़ी का भोग लगाया जाता है और गुड़-तिल, रेवड़ी, गजक का प्रसाद भी बांटा जाता है।
खेत-अनाज पूजा
इस दिन से वसंत ऋतु की भी शुरुआत होती है और यह पर्व संपूर्ण अखंड भारत में फसलों के आगमन की खुशी के रूप में मनाया जाता है। खरीफ की फसलें कट चुकी होती हैं और खेतों में रबी की फसलें लहलहा रही होती हैं। खेत में सरसों के फूल मनमोहक लगते हैं।
विष्णु लक्ष्मी पूजा
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और आराधना करने के भी महत्व है। इस दिन उनकी माता लक्ष्मी के साथ पूजा करने से कृपा प्राप्त होती है।
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