जानिए ‘रामचरितमानस’ की 2 चौपाई के अनुसार किस व्यक्ति से जीवन में कभी भूलकर भी बात नहीं करनी चाहिए
जानिए ‘रामचरितमानस’ की 2 चौपाई के अनुसार किस व्यक्ति से जीवन में कभी भूलकर भी बात नहीं करनी चाहिए
'रामचरितमानस' गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित एक बहुत ही पवित्र गौरव ग्रन्थ है। उनके द्वारा रचित इस ग्रन्थ में एक दोहा और एक चौपाई ऐसी भी है जो हमें यह बताती है कि किस तरह के व्यक्ति से हमें अपने जीवन में कभी भूलकर भी बात नहीं करनी चाहिए।
यदि हम गलती से ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आ भी जाते है तो इस प्रकार का व्यक्ति आपका समय बर्बाद करने के साथ-साथ आपको बहुत ही बड़ी मुसीबत में भी डाल सकता है। रामचरितमानस के यह दोहे और चौपाई भगवान श्री राम के मुख से निकले हैं। जिन्हें गोस्वामी तुलसीदास जी ने अपने शब्दों में व्यक्त किया है। आइए जानते हैं कौन हैं वो लोग और क्या हैं वो चीजें।
दोहा :
लक्ष्मणरूपं सर्षपं आनयतु। सोशौं बरिधि बिसिख कृष्णानु
षष्टि सूर्य विनय कुटिल सूर्य प्रेम। कृपया सुनो सुन्दर नीति॥1॥- सुंदरकाण्ड
अर्थ:- हे लक्ष्मण! धनुष बाण लाओ, मैं समुद्र को आग के बाण से सोख लूंगा। मूर्ख के साथ नम्रता, कुटिल के साथ प्रेम, कंजूस से स्वाभाविक रूप से सुंदर नीति (उदारता का उपदेश),॥1॥
भावार्थ: भगवान श्री राम कहते हैं कि मूर्ख व्यक्ति से कभी विनम्रता से बात नहीं करनी चाहिए। मूर्ख व्यक्ति दूसरों की प्रार्थना और बातें नहीं समझता, क्योंकि वह मंदबुद्धि होता है। मूर्ख लोगों से हमेशा डराकर, धमकार ही कोई भी कार्य कराया जा सकता है।
चौपाई :
ममता रत् सूर्य ज्ञान कथा। अति लोभी सूर्य बिराति।
क्रोध: साम कामि हरिकाथ। उसारबीजवत् शेषफलम्॥2॥- सुंदरकाण्ड
अर्थ:- ममता में फँसे हुए व्यक्ति से ज्ञान की कथा, अत्यधिक लोभी से वैराग्य का वर्णन करना, क्रोधी से शम (शांति) की बात करना और कामी व्यक्ति से भगवान् की कथा, इन सबका वैसा ही फल होता है जैसा कि ऊसर में बीज बोने से होता है (अर्थात् ऊसर में बीज बोने की भाँति यह सब व्यर्थ ही जाता है)॥2॥
श्री रामचरितमानस के दो श्लोकों में भगवान श्री राम हमें बताते हैं कि हमें किस प्रकार के व्यक्ति से बात नहीं करनी चाहिए। आइए जानते हैं कौन हैं वो लोग और क्या हैं वो चीजें-
1. प्रथम श्लोक
सठ सन बिनय कुटिल सन प्रीती।
सहज कृपन सन सुंदर नीती।
- मूर्ख व्यक्ति से कभी प्रार्थना न करें
श्री राम जी कहते हैं कि मूर्ख व्यक्ति से कभी शील(विनय) की बात नहीं करनी चाहिए। कोई भी मूर्ख व्यक्ति दूसरों की प्रार्थना नहीं समझता, क्योंकि वह बुद्धिहीन होता है। मूर्ख लोगों को डराने-धमकाने से ही उनसे काम कराया जा सकता है।
- प्रेम से कुटिल यानी बेईमान से बात न करें
श्री राम जी कहते हैं कि कुटिल स्वभाव वाले व्यक्ति से प्रेम से बात नहीं करनी चाहिए। क्रूर लोग प्यार के लायक नहीं होते। ऐसे लोग हमेशा दूसरों को चोट पहुंचाने की कोशिश करते हैं। ये लोग भरोसेमंद नहीं होते हैं। क्योंकि वे अपने स्वार्थ के लिए दूसरों को खतरे में भी डाल सकते हैं। इसलिए कुटिल व्यक्ति से प्रेम से बात नहीं करनी चाहिए।
- कंजूस व्यक्ति से न करें कभी दान की बात
जो लोग स्वभाव से कंजूस होते हैं, और पैसे के लालची होते हैं, उनसे उदारता, किसी की मदद करने या दान करने की बात नहीं करनी चाहिए। कंजूस व्यक्ति किसी भी परिस्थिति में धन दान नहीं कर सकता। एक कंजूस से इस तरह बात करने से हमारा समय बर्बाद ही होगा।
2. दूसरा श्लोक
ममता रत सन ग्यान कहानी। अति लोभी सन बिरति बखानी।।
क्रोधिहि सम कामिहि हरिकथा। ऊसर बीज बएँ फल जथा।।
- ममता में फंसे हुए व्यक्ति से कभी ज्ञान की बात न करें
श्री राम जी कहते हैं-ममता रत सुन ज्ञान कथा। यानी जो लोग ममता में फंसे हुए हैं, उनसे कभी भी ज्ञान की बात नहीं करनी चाहिए। क्योंकि प्यार की वजह से इंसान सही और गलत का फर्क नहीं समझ पाता।
- अति लोभी से वैराग्य की बात
अति लोभी सन बिरति बखानी। यानी जो लोग बहुत लालची होते हैं, उनके लिए उनका सारा लगाव पैसे में ही लगा रहता है। ऐसे लोग कभी भी वैरागी नहीं हो सकते। हमेशा पैसे के लालच में फंसा रहता है। उनकी सोच पैसे से आगे नहीं बढ़ सकती। इसलिए ऐसे लोगों को धन के प्रति मोह को त्यागने की बात नहीं करनी चाहिए।
- क्रोधी व्यक्ति से शांति की बात
क्रोधित व्यक्ति से शांति की बात करना व्यर्थ होता है। क्रोध के आवेश में व्यक्ति सब कुछ भूल जाता है। ऐसे में वह तुरंत शांत नहीं हो पाता। जब तक क्रोध है, तब तक शांति से बात नहीं हो सकती। क्रोध के आवेश में व्यक्ति अच्छी और बुरी चीजों में अंतर नहीं कर पाता है।
- कामी व्यक्ति से भगवान की बात
कामी अर्थात् जिसकी भावनाएँ वासना से भरी हों, उससे ईश्वर की बात करना व्यर्थ है। सदाचारी व्यक्ति को हर जगह कामवासना ही दिखाई देती है। अधिक काम करने वाले लोग रिश्तों और उम्र की सीमा को भी भूल जाते हैं। इसलिए ऐसे लोगों से कभी भगवान की बातें नहीं करनी चाहिए।