कब से प्रारंभ होगा माघ मास, क्या आप जानते है माघ मास का महत्व
माघ मास की शुरुआत हो चुकी है। हिन्दू धर्म के अनुसार मकर सक्रांति के दिन यानी कि 14 जनवरी 2021 से ही माघ मास की शुरुआत हो चुकी है। हमारे हिन्दू धर्म में माघ मास का बहुत महत्व माना जाता है। यह माह बहुत ही शुभ माना जाता है। अगर आप अपने सभी कष्ट वगरह दूर करना चाहते है तो इस माह में पूजा पाठ और दान पुण्य करने से हर दुःख का निवारण मिलता है। वर्ष 2021 में माघ मास की शुरुआत मकर सक्रांति के दिन से हुई है और 13 मार्च 2021 तक है।
माघ मास में करे देवी देवता को प्रसन्न
माघ मास में अगर आप पूरी निष्ठा से पूजा पाठ करते है तो इससे आप देवी देवताओं को प्रसन्न कर सकते है एवं शुभ फल की प्राप्ति होती है। जानिए माघ माह में कैसे करे देवी देवताओं को प्रसन्न। माघ माह में रोजाना पूजा पाठ करना चाहिए इससे विशेष फल की प्राप्ति होती है। नियमित पूजा पाठ करने से घर में सुख शान्ति और समृद्धि बनी रहती है। ऐसा करने से घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
हिन्दू पंचांग के चंद्रमास के हिसाब से माघ को वर्ष का ग्यारहवां महीना माना जाता है। पौष माह के बाद में माघ माह प्रारम्भ होता है। पुराणों के अनुसार माघ मॉस के महात्म्य का वर्णन मिलता है। हिन्दू धर्म में ग्यारहवां चंद्रमास और दसवां सौरमास माघ कहलाता है। माघ महीने में मघा नक्षत्रयुक्त पूर्णिमा होने की वजह से इस महीने का नाम माघ पड़ा। माघ माह का धार्मिक दृष्टिकोण की वजह से बहुत अधिक महत्व होता है। अगर इस महीने में कोई भी जातक किसी शीतल जल में डुबकी लगाता है तो वह पापमुक्त हो जाता है।
'माघे निमग्नाः सलिले सुशीते विमुक्तपापास्त्रिदिवं प्रयान्ति।'
पद्मपुराण के अनुसार माघ मास के महत्व का वर्णन करते हुए कहा गया है कि इस महीने में भगवान श्रीहरि को भक्तों के पूजा करने से उतनी प्रसन्नता नहीं होती जितनी माघ के महीने में स्नान करने से होती है। सभी तरह के पापों से मुक्ति पाने के लिए एवं भगवान विष्णु की प्रीति प्राप्ति के लिए हर मनुष्य को माघ महीने में स्नान करना चाहिए।
'प्रीतये वासुदेवस्य सर्वपापानुत्तये। माघ स्नानं प्रकुर्वीत स्वर्गलाभाय मानवः॥'
विश्व प्रसिद्ध ज्योतिष के अनुसार ऐसी मान्यता है कि माघ मास में जो व्यक्ति पूर्णिमा के दिन ब्रह्मावैवर्तपुराण का दान करता है उसे ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है। इस महीने में ब्रह्मावैवर्तपुराण की कथा सुनने का बहुत महत्व होता है अगर यह संभव नहीं हो तो इस महीने में माघ महात्म्य अवश्य सुनना चाहिए।
इसी के साथ इस महीने में स्नान, दान, उपवास और भगवान माधव की पूजा भी बहुत फलदायी होती है। महाभारत में यह वर्णन किया गया है कि माघ मास में जो व्यक्ति तपस्वियों को तिल का दान करता है उसे कभी भी नरक के दर्शन नहीं होते है। माघ मास की द्वादशी तिथि को दिन-रात उपवास करके भगवान माधव की पूजा करने से उपासक को राजसूय यज्ञ का फल प्राप्त होता है। अतः इस प्रकार माघ स्नान की अपूर्व महिमा है।
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