कल रंगभरनी एकादशी, जानिए फाल्गुन माह की एकादशी का महत्व
जैसा कि हम जानते है कि एकादशी को सभी व्रतों में सबसे ज्यादा सर्वोत्तम माना जाता है। हमारे हिन्दू पंचांग के अनुसार माना जाता है कि फाल्गुन मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस दिन को आंवला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन आंवले के पेड़ की विधि विधान से पूजा की जाती है और लोग उपवास रखते है।
एस्ट्रोलॉजी कंसल्टेंसी के अनुसार यह व्रत करने से व्यक्ति को रोगों से मुक्ति दिलाने वाला होता है। इस साल आमलकी या रंगभरी एकादशी का व्रत 25 मार्च यानी गुरूवार के दिन रखा जाएगा। विष्णु पुराण के अनुसार एक बार जब भगवान विष्णु के मुख से चंद्रमा के समान प्रकाशित बिंदु प्रकट होकर पृथ्वी पर गिरा था। उसी बिंदु से आमलक अर्थात आंवले के महान पेड़ की उत्पत्ति हुई। भगवान विष्णु के मुख से प्रकट होने वाले आंवले के वृक्ष को सर्वश्रेष्ठ कहा गया है।
इस व्रत का बहुत ही महत्व बताया गया है उन्होंने ऐसा कहा था कि इस फल के स्मरणमात्र से ही रोग एवं ताप का नाश होता है। एवं इसी के साथ में अच्छे और शुभ फलों की प्राप्ति होती है। यह व्रत माना जाता है कि भगवान विष्णु को अत्यधिक प्रिय है। इस फल को खाने से तीन गुना शुभ फलों की प्राप्ति होती है। आंवले के पेड़ में भगवान विष्णु का वास माना जाता है। आंवले के पेड़ में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का ही वास माना जाता है। ब्रह्मा जी आंवले के ऊपरी भाग में, शिव जी की मध्य भाग में और भगवान विष्णु आंवले की जड़ में निवास करते है।
ज्योतिषी के अनुसार ऐसा माना जाता है कि हम एकादशी के दिन ब्रह्मा, विष्णु और महेश का पूजन एक साथ करते है। फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को रंगभरनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है रंगभरनी एकादशी के दिन से ही श्री ठाकुर जी यानी श्री बांके बिहारी लाल के साथ में रंगों की होली खेलना शुरू होता है। रंगभरनी एकादशी पर श्री ठाकुर जी को गुलाल अर्पित करना चाहिए। रंगों से पूजन कर उन का आशीर्वाद लेने चाहिए।
- भगवान विष्णु का पूजन पीले चंदन से करें और माँ लक्ष्मी का पूजन लाल रोली से कर लाल कपड़े पर गोमती चक्र और कौड़ियों का पूजन करना भी श्रष्ट मन गया है।
- विष्णु मंत्रो का जाप करें
- आंवले के वृक्ष का पूजन करें ।
- विष्णु सहस्त्र नाम का पाठ करें ।
- भगवान श्री कृष्ण का पूजन कर रंग अर्पित करें ।
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