क्यों कोई भी शुभ कार्य करने से पहले किया जाता है चौघड़िए का चयन? जानिए शुभ चौघड़िया
जैसा कि हम जानते है कि किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले शुभ लग्न और मुहूर्त को देखा जाता है। इसी के साथ में जो सबसे महत्वपूर्ण होता है वह है वार, तिथि, माह, वर्ष लग्न, मुहूर्त, योग, नक्षत्र आदि को देखा जाता है। लेकिन किसी भी कार्य की शुरुआत होने के लिए जरुरी होता है कि वो शुभ समय शुरू हो। ऐसा माना जाता है कि चौघड़िया समय का वह हिस्सा है जिसके द्वारा हम जान सकते है कि कौनसा समय शुभ है और कौनसा नहीं है। इसके द्वारा हम पता लगा सकते है कि किसी भी वार का कौनसा समय शुभ है। दिन एवं रात का चौघड़िया अलग अलग होता है।
दिन और रात के समय 8-8 चौघड़िया मुहूर्त होते है। अगर हम संक्षेप में चौघिड़या की बात करे तो एक तक़रीबन 24 मिनट की होती है और एक चौघड़िया 4 घटी यानी कि तक़रीबन 96 मिनट का होता है। हर एक चौघड़िया मुहूर्त कम से कम 4 घटी का होता है। यही वजह है जिसके कारण चौघड़िया= चौ यानी कि चार और घडिया यानी कि घटी के नाम से जाना जाता है। हिन्दू धर्म में कई लोग इसे चतुर्श्तिका मुहूर्त के नाम से भी जाना जाता है।
चौघड़िया आठ प्रकार के होते है। ऐसी मान्यता है कि चौघड़िया वार के अनुसार तो सात ही होते है लेकिन वह जहा से शुरू होते है वही से समाप्त भी होते है। आठ चौघड़िया का नाम इस प्रकार है: अमृत, रोग, लाभ, शुभ, चर, काल, उद्वेग और अमृत। हर वार और ग्रह से जुड़ा होता है चौघड़िए का मुहूर्त। जैसा कि हम जानते है रविवार का ग्रह है सूर्य तो रविवार का चौघड़िया उद्वेग से प्रारम्भ होता है। इसी तरह सोमवार का चन्द्रमा ग्रह है तो अमृत के चौघड़िए से शुरुआत होती है। मंगलवार का ग्रह है मंगल तो इस दिन का चौघड़िया रोग से शुरू होता है।
बुधवार का ग्रह है बुध तो बुधवार का चौघड़िया लाभ से शुरू होता है। गुरूवार का ग्रह गुरु तो इस दिन का चौघड़िया शुभ से शुरू होता है। शुक्रवार का ग्रह शुक्र है तो इस दिन का चौघड़िया चर से शुरू होता है। शनिवार का शनि ग्रह है तो काल से प्रारम्भ होता है इस दिन का चौघड़िया। इसी प्रकार हर वार और उसके ग्रह के अनुसार होता है चौघड़िए का प्रारम्भ।
जानिए कैसे करे चयन कि कौनसा चौघड़िया है शुभ?
जब भी किसी अच्छे कार्य यानी कि शुभ कार्य की शुरुआत की जाती है तो देखा जाता है कि उनका प्रारंभ अमृत, शुभ, लाभ एवं चर से हो। क्योकि इन चारों चौघड़ियों को शुभ और उत्तम माना गया है किसी भी कार्य को शुरू करने के लिए। बचे हुए तीन चौघड़िया यानी कि रोग, काल और उद्वेग को त्याग देना चाहिए। इन तीनो ही चौघड़िया में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।
1. उद्वेग चौघड़िया
विश्व प्रसिद्ध ज्योतिष के अनुसार ऐसा माना जाता है कि सूर्य का प्रभाव आमतौर पर अशुभ होता है। यही वजह है जिसके चलते इसे उद्वेग के रूप में चिन्हित किया जाता है। उद्वेग के चौघड़िया में सरकारी कामो को आराम से कर सकते है।
2.चर चौघड़िया
शुक्र को शुभ और फायदेमंद ग्रह माना जाता है इसी वजह से इस ग्रह को यानी कि शुक्र को चर या चंचल रूप में चिन्हित किया गया है। ऐसा माना जाता है कि शुक्र ग्रह कि चंचल प्रकृति को देखकर ही चर चौघड़िया को यात्रा उद्देश्य के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है।
3.लाभ चौघड़िया
बुध ग्रह को भी शुभ एवं लाभदायक माना गया है। शुभ और लाभदायक होने के कारण बुध ग्रह को लाभ के रूप में चिन्हित किया गया है। लाभ के चौघड़िए को किसी विद्या को सिखने या शिखा के लिए माना जाता है।
4.अमृत चौघड़िया
ग्रहों में चंद्र ग्रह को भी बहुत शुभ और लाभकारी ग्रह माना जाता है। यही कारण है जिसके लिए इसे अमृत के रूप में चिन्हित किया गया है। अमृत के चौघड़िए को हर कार्य के लिए अच्छा और शुभ माना जाता है।
5.काल चौघड़िया
शनि एक प्रकार का क्रूर ग्रह है इसलिए इस ग्रह को काल के रूप में चिन्हित किया गया है। ऐसा माना जाता है कि काल के चौघड़िया के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।
6.शुभ चौघड़िया
बृहस्पति बहुत ही शुभ ग्रह है और यह लाभकारी ग्रह माना गया है। इसलिए इसे शुभ के रूप में चिह्नित किया जाता है। शुभ चौघड़िया को विशेष रूप से विवाह समारोह आयोजित करने के लिए उपयुक्त माना जाता है।
7.रोग चौघड़िया
मंगल एक क्रूर ग्रह है। इसे रोग के रूप में चिह्नित किया गया है। रोग चौघड़िया के दौरान कोई शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। लेकिन युद्ध में शुत्र को हराने के लिए रोग चौघड़िया की अनुशंसा की जाती है।
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