कोरोना काल में भी हरिद्वार में आयोजित होगा कुंभ का मेला जानिए शाही स्नान की तिथियां
जैसा कि हम जानते है कि कोविड के साये के बीच में हरिद्वार में कुम्भ के मेले की तैयारियां जोरों पर चल रही है। आस्था के मेले के बीच कुंभ नगरी का कायाकल्प किया जा रहा है। इस बार माना जा रहा है कि कुंभ का आयोजन ग्रीन क्लीन कुम्भ की थीम पर किया जा रहा है। इस थीम में गंगा की शुद्धता और पर्यावरण की रक्षा पर जोर दिया जाएगा।
ऐसा माना जा रहा है कि कुम्भ के दौरान द्युत ऊर्जा का कम से कम लगभग शून्य इस्तेमाल करने और सौर ऊर्जा का अधिकाधिक इस्तेमाल करने की योजना है। ऐसा माना जा रहा है कि अगर सब कुछ ठीक रहा तो कुंभ के इतिहास में पहली बार कुंभ मेला शुभारम्भ और समापन समारोह का भी आयोजन होगा। ऐसा माना जा रहा है कि इस मौके पर बहुत ही बड़े पैमाने पर इको फ्रेंडली आतिशबाजी और लेजर शो कराने की तैयारी है।
विश्व प्रसिद्ध ज्योतिष के अनुसार मेला स्थल को ग्रीन जोन घोषित कर यहा आवश्यक सेवा से जुड़े वाहनों को छोड़ के डीजल और पेट्रोल वाहनों पर रोक लगाने की योजन है। कुंभ के मेले में केवल बैटरी और सौर ऊर्जा आधारित वाहनों को ही चलाए जाने की अनुमति होगी।
इस साल चार शाही स्नान और छह पर्व स्नान
1. |
14 जनवरी 2021 |
मकर संक्रांति |
2. |
11 फरवरी 2021 |
मोनी अमावस्या |
3. |
16 फरवरी 2021 |
बसंत पंचमी |
4. |
27 फरवरी 2021 |
माघ पूर्णिमा |
5. |
11 मार्च 2021 |
महाशिवरात्रि (शाही स्नान) |
6. |
12 अप्रैल 2021 |
सोमवती अमावस्या (शाही स्नान) |
7. |
13 अप्रैल 2021 |
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा |
8. |
14 अप्रैल 2021 |
बैसाखी (शाही स्नान) |
9. |
21 अप्रैल 2021 |
रामनवमी |
10. |
27 अप्रैल 2021 |
चैत्र पूर्णिमा (शाही स्नान) |
जब भी कुंभ के मेले का आयोजन होता है तो उसमे ग्रह नक्षत्र बहुत ही विशेष समय निर्धारित करते है। मेष राशि में सूर्य और कुंभ राशि में बृहस्पति के आने के संयोग पर हरिद्वार में कुंभ का आयोजन होता है। इस बार संयोग 2021 में 10 अप्रैल के बाद दिखाई दे रहा है। कुंभ के लिए निर्धारित 12 वर्ष की अवधि यानि 2022 में ऐसा कोई संयोग नहीं बनता नजर आ रहा है।
इसी के साथ में कुंभ के लिए निर्धारित बारह वर्ष की अवधि यानी की 2022 में अब तक ऐसा कोई भी संयोग नहीं बनता नजर आ रहा है। इसी कारण से अखाड़ा परिषद में हरिद्वार कुंभ को 2021 में ही आयोजित किए जाने का फैसला लिया गया है। इस लिहाज से हरिद्वार में कुंभ की कुल अवधि मात्र 17 दिन की ही बन रही थी।
गंगा स्नान केवल 10 से 15 मिनट के लिए
इस बार माना जा रहा है कि हरिद्वार के कुंभ के मेले में श्रद्धालुओं को इस बार घाट पर 10 से 15 मिनट तक रहने का मौका मिलेगा। जब पहले कुंभ होता था तो उसमे श्रद्धालुओं को तीन से चार डुबकी लगाने के बाद ही बाहर होना पड़ता था। मुख्य स्नानों पर 30 से 40 लाख लोगों की व्यवस्था का प्लान किया गया है, जबकि पूर्व में हुए कुंभ में 70 से 80 लाख लोग आते रहे हैं।
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